Press Release English and Hindi
Bhavan Vidyalaya, Chandigarh
Interschool Debate Competition on 150 years of the Mahatma held
Bhavan Vidyalaya, Chandigarh organised the first round of Interschool English Debate Competition to commemorate the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi this year.
Twenty-two contestants from various schools debated on two topics: Ahimsa Paramo Dharma- non-violence is the greatest virtue, and Gandhiji's ideology of universal development has lost its meaning.
Contestants put forth relevant arguments for and against the topics followed by a rebuttal round where the audience and other participants questioned the speaker. Contestants were judged on the basis of content and thematic relevance, pronunciation and diction, confidence and rebuttals.
An eminent judging panel consisting of Dr Ashu Pasricha, Chairperson, Department of Gandhian and Peace Studies, Punjab University, Ms. Jagmeeta Thind Joy, accomplished journalist and freelance writer and Ms. Praveen Sharda, HOD, University School of Open Learning added colour to the event.
They shared their valuable insights on the topic with the participants and congratulated the speakers on their fiery arguments.
The final round of the event is to be held on the 17th of August where 12 selected finalists shall debate on whether Gandhian Principles are still relevant in contemporary society.
भवन विद्यालय में महात्मा गाँधी के 150 साल के सन्दर्भ में इंटरस्कूल वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
भवन विद्यालय, चंडीगढ़ ने इस वर्ष महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने के लिए इंटर्स्कूल इंग्लिश डिबेट प्रतियोगिता का पहला दौर आयोजित किया।
विभिन्न स्कूलों के 22 प्रतियोगियों ने दो विषयों पर बहस की: अहिंसा परमो धर्म- अहिंसा सबसे बड़ा गुण है; और गांधीजी की सार्वभौमिक विकास की विचारधारा ने अपना अर्थ खो दिया है।
प्रतिभागियों ने एक खंडन दौर के बाद और दर्शकों और अन्य प्रतिभागियों ने स्पीकर से प्रशन भी पूछे जिसके प्रतियोगियों ने प्रासंगिक तर्क दिए। प्रतियोगियों को विषय की जानकारी ,और विषयगत प्रासंगिकता, उच्चारण और आत्मविश्वास के आधार पर आंका गया।
इस प्रतियोगिता को प्रतिष्ठित पैनल ने जज किया, जिसमें शामिल थे, डॉ आशु पसरीचा, गांधीवादी और शांति अध्ययन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, सुश्री जगमीता थिंड जॉय, निपुण पत्रकार और स्वतंत्र लेखक और सुश्री प्रवीण शारदा, एचओडी, यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग के अध्यक्ष
उन्होंने प्रतिभागियों के साथ इस विषय पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की और वक्ताओं को उनके उग्र तर्कों पर बधाई दी।
इस आयोजन का अंतिम दौर 17 अगस्त को होना है, जहां 12 चयनित फाइनलिस्ट इस बात पर बहस करेंगे कि क्या समकालीन समाज में गांधीवादी सिद्धांत अभी भी प्रासंगिक हैं।
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